1. शिक्षकों हेतु सेवापूर्व और सेवारत प्रशिक्षण आयोजित करना.
2. औपचारिक एवं सतत शिक्षा के अनुदेशकों को एवं परीक्षकों के लिए सतत प्रशिक्षण का प्रबंध करना.
3. संस्था प्रधानों को संस्थागत योजना प्रबंध तथा सूचना स्तर पर योजना निर्माण हेतु प्रशिक्षण एवं अभीनवीनीकरण
करना.
4. क्रियात्मक अनुसंधान तथा प्रायोगिक कार्य करना.
5. प्राथमिक उच्च प्राथमिक औपचारिक शिक्षा तथा सतत शिक्षा के लिए मूल्यांकन केंद्र की भूमिका निभाना.