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To Update Teachers Through In-Service Training In Various Aspects Of Education.
To Give On-Site & Off-Site Support To Teachers & Educational Functionaries.
To Develop Leadership Attitude In School Principals & Educational Functionaries.
To Enhance The Use Of ICT In Teaching-Learning
Processes.
डी.आई.ई.टी.(डाइट) की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार की गई I प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में डी.आई.ई.टी.(डाइट) की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत देश में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर एनसीईआरटी (NCERT) तथा नीपा (NIEPA) जैसी इकाइयों का गठन किया गया है जबकि राज्य स्तर पर एससीईआरटी (SCERT) का गठन हुआ है एवं जनपद स्तर पर डी.आई.ई.टी.(डाइट) की स्थापना
की गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के तहत डी.आई.ई.टी.(डाइट) की संकल्पना की गई । जिसमें यह उल्लेख किया गया कि जनपद स्तर पर ऐसी संस्था स्थापित की जाए जो अध्यापकों की व्यवसायिक उन्नति तथा विकास के लिए समुचित कार्य कर सकें। इस नीति के तहत प्रथम पेज में 33 जिलों में डी.आई.ई.टी.(डाइट) की स्थापना की गई तथा द्वितीय फेज में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान आजमगढ़ की स्थापना हुई । जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान एक नोडल एजेंसी है जो प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के विशेष संदर्भ में प्राथमिक और वयस्क शिक्षा के क्षेत्रों में किए गए विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों की सफलता के लिए जमीनी स्तर पर अकादमिक समर्थन और संसाधन प्रदान करता है
I
नई शिक्षा नीति 2020 एवं ड्राफ्ट NEP-2019 के अनुसार डी.आई.ई.टी.(डाइट) को और अधिक सुदृढ़ और सक्रिय बनाने की बात कही गई है जिससे शिक्षा तक सबकी आसान पहुँच, समता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों के माध्यम से 21वीं शताब्दी की आवश्यकताओं के अनुकूल स्कूल की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और वैश्विक महाशक्ति में बदलकर प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाया जा सके I
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान जाफरपुर आजमगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 4 किमी० पर स्थित है
यह आजमगढ़ से निज़ामबाद तहसील को जाने वाले सडक मार्ग पर RTO कार्यालय से लगभग 500 मीटर आगे पल्हनी ब्लाक के जाफरपुर में स्थित है I
आजमगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ सम्भाग के तीन जिलों में से एक जिला है। इसका जिला मुख्यालय आजमगढ़ है। तमसा के पावन तट पर स्थित यह जनपद आज़मगढ़ अनेक ऋषियों की पावन पुण्य भूमि है। आज़मगढ़ जनपद उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है, जो गंगा और घाघरा के मध्य बसा हुआ है। आजमगढ़ जिला पूर्व में मऊ, उत्तर में गोरखपुर, दक्षिण-पूर्व में गाज़ीपुर, दक्षिण-पश्चिम में जौनपुर, पश्चिम में सुल्तानपुर और उत्तर पश्चिम में अम्बेडकर नगर से घिरा हुआ है । यह जनपद आदि काल से ही मनीषियों, ऋषियों, चिन्तकों, विद्वानों और स्वतंत्रता सेनानियों की जन्म स्थली रही है।
आज़मगढ़ का प्रशासनिक मुख्यालय, लखनऊ- बलिया राज्य राजमार्ग पर राजधानी लखनऊ से 269 किमी पर है। यह आजमगढ़ मण्डल का मुख्यालय भी है, जिसमें तीन जिलों आज़मगढ़, मऊ और बलिया शामिल हैं । भौगोलिक दृष्टि से इसका क्षेत्रफल 4054 वर्ग किमी० है I 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसँख्या 4,613,913 है, लिंग अनुपात (प्रति 1000 पुरुष) - 1019 महिला है I आजमगढ़ जनपद में कुल 4101 गाँव, 02 नगरपालिका, 11 नगर पंचायत, 8 तहसील, 22 ब्लाक एक नगर क्षेत्र एवं 26 पोलिस स्टेशन है I जिले में कुल 2702 परिषदीय विद्यालय हैं। जिनमे 1737 प्राथमिक विद्यालय, 484 उच्च प्राथमिक विद्यालय व 481 कंपोजिट विद्यालय हैं । इनमे सत्र 2021-22 में 3,48,715 बच्चों का नामांकन है I
जिले का नाम इसके मुख्यालय शहर आजमगढ़ के नाम पर रखा गया है, जिसकी स्थापना 1665 में विक्रमजीत के पुत्र आजम ने की थी। परगना निजामाबाद में मेहनगर के गौतम राजपूतों के वंशज विक्रमजीत ने अपने कुछ पूर्ववर्तियों की तरह इस्लाम धर्म को अपनाया था। उनकी एक मुसलमान पत्नी थी, जिससे उन्हें दो बेटे आजम और अजमत पैदा हुए। आज़म ने अपना नाम आजमगढ़ शहर और किले को दिया, अज़मत ने किले का निर्माण किया और परगना सगड़ी में अज़मतगढ़ के बाजार को बसाया।
आज़मगढ़ जिला घाघरा नदी के दक्षिण में स्थित है। वैसे जनपद में कुल 17 छोटी-बड़ी नदिया हैं। इसमें मुख्य रूप से घाघरा, तमसा और छोटी सरयू हैं। घाघरा नदी जनपद के उत्तरी सीमा पर पश्चिम-पूरब की ओर से लगभग 45 किमी की लंबाई में बहती हैं। तमसा नदी जनपद के मध्यभाग से पश्चिम से पूरब की ओर से प्रवाहित होती है। इसके अलावा अन्य नदियों में बेसो, गांगी, मंझुई (मंजूषा), उदन्ती, कुंवर, सीलनी, मंगई, भैंसही, लोनी, दोना, ओरा, बगाड़ी, सुकसुई, कयाड़ आदि भी शामिल हैं। तमसा नदी बाराबंकी जिले से अम्बेडकर नगर होते हुए आजमगढ़ में प्रवेश करती है। मंजूषा सुल्तानपुर जिले से निकलकर अहरौला होते हुए दुर्वासा में तमसा में मिलती हैं। कुंवर नदी निजामाबाद, छोटी सरयू महराजगंज से होकर गुजरती है। गांगी नदी ठेकमा के जिवली के पास जिला आजमगढ़ में प्रवेश करती है और गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती हैं। बेसो के मार्टीनगंज ब्लाक के एक ताल से निकलती है और गाजीपुर तक जाती है। उदन्ती लालगंज ब्लाक के एक तालाब से निकलकर मेहनाजपुर की ओर जाती है। बगाड़ी नदी निजामाबाद के गंधुई बढ़या ताल से निकलकर कुंवर नदी में मिलती है। मंगई नदी जौनपुर से जनपद की सीमा में प्रवेश करती हैं।
पौराणिक स्थल एवं महत्व-
दुर्वासा आश्रम / धाम: यह स्थान फूलपुर तहसील मुख्यालय के उत्तर से छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह यहां स्थित दुर्वासा ऋषि के आश्रम के लिए काफी प्रसिद्ध है। तमसा-मंजुसा के संगम पर स्थित दुर्वासा ऋषि के आश्रम पर कार्तिक पूर्णिमा पर तीन दिवसीय मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
दत्तात्रेय आश्रम / धाम : निजामाबाद तहसील के तमसा और कुंवर नदी के संगम पर दत्तात्रेय का आश्रम है। यहां भी शिवरात्रि के दिन मेले का आयोजन किया जाता है। चंद्रमा ऋषि ,दत्तात्रेय और दुर्वासा ऋषि यह तीनों लोग सती अनुसूया के पुत्र माने जाते हैं, जो क्रमागत ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार माने जाते हैं।
चंद्रमा ऋषि आश्रम : सदर तहसील के मुजफ्फरपुर के पास तमसा और सिलनी नदीं के संगम पर चंद्रमा ऋषि का आश्रम है। यही भी लोगों की आस्था के केंद्र है। जनपद मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर पश्चिम में भंवरनाथ से तहबरपुर जाने वाले रास्ते पर पड़ता है। रामनवमी तथा कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है। ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल घूमने का स्थान है। यह स्थान सती अनसूया के कहानी से संबंधित है।
1. शिक्षकों हेतु सेवापूर्व और सेवारत प्रशिक्षण आयोजित करना.
2. औपचारिक एवं सतत शिक्षा के अनुदेशकों को एवं परीक्षकों के लिए सतत प्रशिक्षण का प्रबंध करना.
3. संस्था प्रधानों को संस्थागत योजना प्रबंध तथा सूचना स्तर पर योजना निर्माण हेतु प्रशिक्षण एवं अभीनवीनीकरण
करना.
4. क्रियात्मक अनुसंधान तथा प्रायोगिक कार्य करना.
5. प्राथमिक उच्च प्राथमिक औपचारिक शिक्षा तथा सतत शिक्षा के लिए मूल्यांकन केंद्र की भूमिका निभाना.
6. अधिगम सामग्री व शिक्षण के लिए साधन सुविधाएं जुटाने वाले संदर्भ केंद्र की भूमिका निभाना.
7. शैक्षिक अनुसंधान एवं नवाचार में विकासात्मक प्रवृत्तियों का प्रकाशन करना.
8. शिक्षण अधिगम सामग्री का विकास एवं पाठ्यक्रम एवं पाठ सामग्री निर्माण तथा मूल्यांकन करना.
9. जिला शिक्षा इकाइयों को सलाह व सहयोग देने का कार्य करना.
10. जनपद में विशेष समूह के लिए योग विद्यालय के सुदृढ़ीकरण तथा अकादमी सहयोग के लिए व्यवस्थित योजना तैयार करना.
श्री विजय किरण आनंद
महानिदेशक,
स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक
समग्र शिक्षा, उत्तर प्रदेश
डॉ. अंजना गोयल
निदेशक,
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
सूर्य प्रताप
उप शिक्षा निदेशक / प्राचार्य,
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान,
जाफरपुर, आजमगढ़